संविधान दिवस क्या है ??
What is Constitution??
प्रत्येक देश का अलग-अलग संविधान होता है और संविधान नियम और कानूनों की एक पुस्तक होती है, जिसके आधार पर ही देश का शासन चलाया जाता है।
उसी प्रकार से भारत का भी अपना खुद का लिखा हुआ संविधान है। भारत में संविधान जिस दिन भारत सरकार के द्वारा अंगीकृत किया गया, उस दिन को संविधान दिवस के रूप में मनाया जाता है।
भारतीय संविधान के जनक डॉ भीमराव अंबेडकर को आजादी के बाद कानून मंत्री का पद दिया गया तथा उन्हें भारतीय संविधान की प्रारूप समिति का अध्यक्ष बनाया गया।
डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने विभिन्न देशों के संविधान का अध्ययन किया तथा प्रत्येक देश के संविधान से सभी वर्ग के नागरिकों के सम्पूर्ण विकास के लिए गुणवत्ता युक्त तत्वों को इकट्ठा करके भारतीय संविधान का निर्माण किया तथा उसे सरकार के सामने प्रस्तुत किया। भारतीय सरकार ने डॉक्टर भीमराव अंबेडकर द्वारा
लिखित भारतीय संविधान को 26 नवंबर 1949 को अंगीकृत कर लिया। उसी दिन 26 नवंबर को डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की याद में भारतीय संविधान दिवस मनाया जाता है।
संविधान दिवस कैसे मनाया जाता है ?
How Constitution Day is celebrated ?
भारतीय संविधान दिवस वह दिन है, जिस दिन हमें भारतीय संविधान के बारे में और अधिक जानने के अवसर प्राप्त होते हैं।
साधारण शब्दों में कह सकते हैं कि संपूर्ण देश को चलाने वाले संविधान अर्थात कानून को ठीक प्रकार से समझने वाला यह दिन होता है।
क्योंकि इसी दिन हमारा भारतीय संविधान अंगीकृत किया गया था और यह दिन था 26 नवंबर 1949 का दिन। भारत सरकार द्वारा 26 नवंबर 2015 से भारतीय संविधान दिवस के रूप में मनाया जाना शुरू किया था।
संविधान दिवस के समय भारत के सभी प्रशासनिक स्थानों पर विद्यालयों में संविधान के निर्माता तथा जनक डॉ भीमराव अंबेडकर को याद किया जाता है।
तथा संविधान की प्रस्तावना को सभी विद्यार्थियों तथा कर्मचारियों के सामने प्रस्तुत किया जाता है। भारतीय संविधान के इतिहास तथा भारतीय संविधान के निर्माण के बारे में शिक्षार्थियों तथा स्टाफ को बताया जाता है।
विद्यालय में छात्रों के द्वारा संविधान दिवस के ऊपर भाषण प्रतियोगिताएँ भी आयोजित की जाती हैं। विद्यालय के प्रधानाचार्य तथा शिक्षक विद्यार्थियों को
मौलिक कर्तव्य, मौलिक अधिकारों के बारे में बताते हैं कि भारतीय संविधान तथा कानून का सम्मान करना तथा अपने अधिकारों के साथ अपने कर्तव्यों का ठीक प्रकार से निर्वहन करने का सुझाव देते भी देते हैं।
विभिन्न विद्यालयों में संविधान दिवस के उपलक्ष में स्वच्छता स्वस्थय, भाईचारे का संदेश भी दिया जाता है। बच्चे गांव में जाकर प्रभातफेरियाँ निकालते हैं,
तथा स्वच्छता और स्वास्थ्य का संदेश देते हैं। बच्चों के द्वारा गांव में नुक्कड़ नाटक का आयोजन भी किया जाता है, जिसके द्वारा भी भारत के संविधान का इतिहास का ज्ञान होता है।
कई विद्यालयों में खेलकूद, दौड़, आदि प्रतियोगिता के द्वारा छात्रों में परस्पर सहयोग तथा भाईचारे की भावना उत्पन्न की जाती है। वास्तव में भारतीय संविधान दुनिया का सबसे उल्लेखनीय विश्वसनीय तथा प्रशंसनीय संविधान है।
भारतीय संविधान कब बनकर तैयार हुआ ?
When was the Indian Constitution Prepared?
हमारे भारत देश को 15 अगस्त 1947 को आजादी प्राप्त हुई थी। उस समय देश में राजाओं के अधीन कई छोटे-बड़े राज्य थे। जिनकी कानून व्यवस्था भी भिन्न-भिन्न प्रकार से हुआ करती थी।
इसलिए संपूर्ण भारत देश में एक ही कानून व्यवस्था लागू करने के लिए संपूर्ण देश के सभी जाति वर्ग के व्यक्तियों में व्यक्ति की गरिमा स्वतंत्रता, समानता तथा बंधुत्व को जागृत करने के लिए एक कानून, संविधान की आवश्यकता थी।
जिसके लिए भारत सरकार के द्वारा संविधान सभा का गठन किया गया। संविधान सभा का पहला अधिवेशन 9 दिसंबर 1946 को डॉ सच्चिदानंद सिन्हा की अध्यक्षता में संपन्न कराया गया।
तथा 11 दिसंबर 1946 को डॉ राजेंद्र प्रसाद को संविधान सभा का स्थाई अध्यक्ष घोषित कर दिया गया। भारतीय संविधान की नीव कहा जाने वाला उद्देश्य
प्रस्ताव पंडित जवाहरलाल नेहरू ने 13 दिसंबर 1946 को संविधान सभा के सामने प्रस्तुत किया। तथा डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की अध्यक्षता में 7 सदस्यों की एक प्रारूप समिति का गठन किया गया।
इस समिति द्वारा भारतीय संविधान का निर्माण का कार्य प्रारंभ हो गया। प्रारूप समिति के विद्वानों ने दुनिया भर के विभिन्न देशों के संविधानों का अध्ययन किया तथा
उनसे महत्वपूर्ण बातों को एकत्रित करके भारतीय संविधान में समाहित करते गए। इस प्रकार से भारतीय संविधान विश्व का सबसे विशाल संविधान बनकर तैयार हो गया।
जिसके निर्माण में 2 वर्ष 11 माह 18 दिन का समय लगा। उस समय भारतीय संविधान में 995 अनुच्छेद 22 भाग 8 अनुसूचियाँ शामिल थी तथा भारतीय संविधान सभा के सदस्य 389 थे।
389 सदस्यों में से 292 ब्रिटिश प्रांतों से 93 देशी रियाशतों और चार कमिश्नर क्षेत्रों के प्रतिनिधि थे। भारतीय संविधान 26 नवंबर 1949 को भारत सरकार द्वारा अंगीकृत कर लिया गया,
उस समय लगभग 284 सदस्यों ने अपने हस्ताक्षर किए थे। और भारतीय संविधान को 26 जनवरी 1950 को लागू कर दिया गया।
भारतीय संविधान की अंतिम बैठक 24 जनवरी 1950 को हुई थी। इसके बाद भारतीय संविधान के अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद को भारत का राष्ट्रपति नियुक्त कर दिया गया।
भारतीय संविधान की विशेषताएँ
Features of Indian Constitution
हमारा भारतीय संविधान कई प्रकार की विशेषताओं से भरा हुआ है। क्योंकि हमारे भारतीय संविधान में विभिन्न देशों के संविधानों से कई महत्वपूर्ण तत्वों को शामिल किया गया है।
इसलिए हमारा भारतीय संविधान लचीला होने के साथ ही कठोर भी है। तथा विश्व का सबसे बड़ा हस्तलिखित संविधान भी है। भारतीय संविधान की कुछ विशेषताएं निम्न प्रकार से हैं:-
लिखित और लोक निर्मित संविधान
भारत का संविधान लिखित और लोक निर्मित संविधान है, क्योंकि भारत के प्रबुद्ध विचारको तथा विद्वानों ने विश्व के विभिन्न देशों के संविधानों का अध्ययन किया और उनमें से महत्वपूर्ण बातों को इकट्ठा करके भारतीय संविधान में समाहित किया।
जिस वक्त भारतीय संविधान लिखा गया था। उस वक्त भारतीय संविधान में 395 अनुच्छेद 22 भाग और 8 अनुसूचियाँ शामिल थी। किंतु धीरे-धीरे भारतीय संविधान में संशोधन होते गए तथा कई अनुच्छेद और अनुसूचियों को जोड़ा गया।
विभिन्न स्रोतों से युक्त
भारत का संविधान विभिन्न देशों के संविधान में से लिए गए मूल्य तत्वों से निर्मित हुआ है। किंतु भारत का अधिकतर भाग भारतीय संविधान अधिनियम 1935 से लिया गया है।
भारतीय संविधान में संघीय शासन प्रणाली, कानूनी निर्माण प्रक्रिया, एकल नागरिकता आदि प्रमुख तक ब्रिटेन के संविधान से लिए गए हैं।
जबकि संयुक्त राज्य अमेरिका से मौलिक अधिकार, सर्वोच्च न्यायालय का गठन आदि तत्वों का समावेश भारतीय संविधान में किया गया है।
आयरलैंड से राज्य के नीति निर्देशक तत्व जर्मनी से आपातकालीन उपबंध वहीं सोवियत संघ से मौलिक कर्तव्य जैसे तत्वों का शामिल भारत के संविधान में है।
कठोर और लचीला संविधान
भारतीय संविधान की यह सबसे बड़ी विशेषता मानी जाती है, कि भारतीय संविधान कठोर और लचीला दोनों ही प्रकार का संविधान है।
कुछ देश जैसे कि अमेरिका का संविधान कठोर तथा ब्रिटेन का संविधान लचीला है। और यह निर्भर करता है उस देश की संविधान निर्माण कानून निर्माण तथा संविधान संशोधन की प्रक्रिया पर।
किंतु भारतीय संविधान कठोर और लचीला दोनों ही प्रकार का है। भारतीय संविधान में अनुच्छेद 368 के द्वारा दोनों सदनों के साथ मिलकर भारतीय संविधान में संशोधन किया जा सकता है।
मौलिक अधिकार
मौलिक अधिकार भारतीय संविधान की एक प्रमुख विशेषता के रूप में जाना जाता है, जिसे अमेरिका के संविधान से लिया गया है।
मौलिक अधिकार व्यक्ति में लोकतंत्र की भावना जागृत करता है, तथा कार्यपालिका और विधायिका के मनमाने कानूनों के लिए निरोधक जैसा होता है।
यदि किसी व्यक्ति के मौलिक अधिकारों का हनन होता है, तो वह सीधे सर्वोच्च न्यायालय की शरण जा सकता है। और सर्वोच्च न्यायालय मौलिक अधिकारों की रक्षा करने के लिए बंदी प्रत्यक्षीकरण, परमादेश प्रतिषेध, अधिकार पृच्छा और उत्प्रेरण जैसी रिट जारी कर सकता है।
राज्य के नीति निदेशक तत्व
राज्य के नीति निदेशक तत्वों को आयरलैंड के संविधान से लिया गया है, जिन का मुख्य उद्देश्य सामाजिक और आर्थिक लोकतंत्र को बढ़ावा देना होता है। देश की शासन व्यवस्था में इन सिद्धांतों को मूल सिद्धांत के रूप में जाना जाता है।
इसके साथ ही हमारे भारतीय संविधान में मौलिक कर्तव्य,धर्मनिरपेक्ष राज्य, एकल नागरिकता न्यायपालिका, आपातकालीन उपबंध, त्रिस्तरीय संरचना लोकतांत्रिक व्यवस्था, एकात्मक और संघात्मक सरकार आदि कई अन्य विशेषताएँ शामिल है।
भारत का संविधान विभिन्न देशों के संविधान में से लिए गए मूल्य तत्वों से निर्मित हुआ है। किंतु भारत का अधिकतर भाग भारतीय संविधान अधिनियम 1935 से लिया गया है।
भारतीय संविधान में संघीय शासन प्रणाली, कानूनी निर्माण प्रक्रिया, एकल नागरिकता आदि प्रमुख तक ब्रिटेन के संविधान से लिए गए हैं।
जबकि संयुक्त राज्य अमेरिका से मौलिक अधिकार, सर्वोच्च न्यायालय का गठन आदि तत्वों का समावेश भारतीय संविधान में किया गया है।
आयरलैंड से राज्य के नीति निर्देशक तत्व जर्मनी से आपातकालीन उपबंध वहीं सोवियत संघ से मौलिक कर्तव्य जैसे तत्वों का शामिल भारत के संविधान में है।
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